Story for kids in Hindi
छठ पूजा की कहानी
Short Moral story for kids in Hindi
बच्चों आज मैं आपको सुनाने जा रही एक ऐसे एक ऐसी पूजा, ऐसे व्रत के बारे में बताने जा रही हूँ जिसकी बहुत मान्यता है। आप चाहे देश में हो या विदेश में, हर जगह इस पूजा का बड़े उत्साह बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। बच्चों इस पूजा का नाम है छठ पूजा। बच्चों छठ पूजा चार दिनों की होती है। पहले दिन नहाय खाय होता है, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन व्रत करने वाले शाम को ढलते सूर्य भगवान को अर्ध्य देते हैं, अर्ध्य का मतलब पता है आपको? अर्ध्य का मतलब है जल चढ़ाकर नमन करना और फिर चौथे दिन उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और इसी के साथ छठ संपन्न होता है. पता है बच्चों इस पर्व महापर्व कहा जाता है, क्योंकि इस पर्व में सब एक बराबर होते हैं. कोई छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब नहीं होता. सब मिल कर प्रकृति की पूजा करते हैं. आपमे से कई बच्चों के घर ये पूजा हो भी रही होगी। बच्चों क्या है छठ पूजा, क्यों मनाया जाता है इसे.. क्या पता है आपको, नहीं पता तो मैं आपको बताती हूँ।
एक प्रियव्रत नाम के राजा थे। उनकी पत्नी भी थी। जिनका नाम मालिनी था। राजा और रानी दोनों एक बात को लेकर बहुत परेशान रहते थे। और वो बात थी उनके पास एक भी संतान का ना होना। राजा और रानी संतान ना होने की वजह से बहुत दुखी रहते थे। तभी एक दिन राजा को महा ऋषि कश्यप मिले। उन्होंने राजा से संतान के लिए यज्ञ करने को कहा। संतान यानि बच्चा पाने के लिए राजा प्रियव्रत महा ऋषि कश्यप की बात मान जाते हैं और यज्ञ करवाते हैं। यज्ञ करवाने के बाद राजा और रानी को बेटा होता है लेकिन बेटा जिंदा नहीं होता है। यानी उसकी साँसे नहीं चल रही थी। ये सब देखकर राजा बहुत दुखी हो जाता। और वो अब खुद को खत्म करने के बारे में सोचने लगता है। उसे लगता है कि अब उसका जिंदा रहने का कोई फायदा नहीं है। बस यही सोच कर वो अपने आप को खत्म करने जा ही रहा था कि तभी उसके सामने एक देवी आती हैं। देवी राजा से कहतीं हैं कि मैं षष्ठी देवी हूँ। जो भी मेरी पूजा सच्चे मन से करता है उसको मैं पुत्र प्राप्त होने का आशीर्वाद देती हूँ साथ ही मैं सबकी मनोकामना भी पूरी करती हूँ। देवी राजा से कहती हैं अगर तुम मेरी पूजा सच्चे मन से करोगे तो मैं तुम्हारे दुख को दूर करूंगी। तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी। राजा देवी की बात मान जाता है और फिर वो और उसकी पत्नी कार्तिक शुक्ल की षष्टि तिथि के दिन षष्टि देवी की पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं और फिर कुछ समय के बाद उन दोनों को बहुत ही सुंदर पुत्र प्राप्त होता है। और फिर तभी से छठ पर्व मनाए जाने लगा।
बच्चों इस व्रत को लेकर एक ओर मान्यता है है। वो ये कि जब महाभारत में पांडव अपना सब कुछ जुए में हार जाते हैं तब द्रोपदी ने छठ व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से द्रोपदी की मनोकामना पूरी होती है और पांडव को फिर से राजपाट वापस मिल जाता है।
कौन है छठी मैया
बच्चों छठ पूजा में सबसे पहले ढलते और उसके बाद उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और छठी माता की पूजा की जाता है। बच्चों वेदों के अनुसार छठी मैया को उषा देवी भी कहते हैं और देवी उषा सूर्य भगवान की बहन हैं। उषा देवी की पूजा करने से और उनके गीत गाने से सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं और सभी की मनोकामनाए पूरी करते हैं।