पंचतंत्र की कहानी
कबूतर और मधुमक्खी
Moral stories in hindi

एक बार की बात है एक जंगल मे नदी के किनारे पेड़ पर एक कबूतर रहता था | उसी जंगल मे एक दिन मधुमक्खी उड़ते हुए आई और नदी मे गिर गई। नदी का पानी बहुत गहरा था । मधुमक्खी ने खुद को संभालने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो खुद को पानी से नहीं निकाल सकी और वो अचानक पानी में डूबने लगी।
जब उसको लगने लगा कि अब वह नहीं बच पाएगी तब वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी। मधुमक्खी की आवाज सुन कर वहाँ कबूतर आ जाता है और मधुमक्खी को बचाने का उपाय सोचने लगता है। तभी वह झट से पास पड़े पत्ते को उठाता है और मधुमक्खी के पास जाकर डाल देता है। उसके बाद मधुमक्खी उस पत्ते पर चढ़ जाती है और अपने पंख सुखाने लगती है। पंख के सुखते ही मधुमक्खी वहाँ से उड़ जाती है। लेकिन जाते-जाते मधुमक्खी को देख कर मुस्कुराती है और उसे शुक्रिया कहती है।
इसके बाद कई दिन बीत जाते हैं, तभी एक दिन कबूतर पेड़ पर सो रहा था, तभी वहाँ एक शिकारी आता है और कबूतर के देख कर उस पर जाल डालने की कोशिश करता है। लेकिन तभी वहाँ पर मधुमक्खी आ जाती है और वो यह सब देख लेती है और फिर बिना देरी किए शिकारी के हाथ में जोर से डंक मारती है, चोट लगते ही शिकारी जोर-जोर से चिल्लाने लगता है।
तभी कबूतर की नींद खुल जाती है और वो शिकारी को देखते ही वहाँ से उड़ कर जाने लगता है। जाते समय वह मधुमक्खी को देख कर मुस्कुराता है और उसको शुक्रिया कहता है।
मोरल- हमें हमेशा सबकी मदद करनी चाहिए। आगे चल कर कभी न कभी हमे भी इसका फायदा जरूर मिलता है।
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बोलने वाला पेड़
Moral Stories in hindi

बहुत समय पहले की बात है। दो दोस्त थे। एक का नाम था रामू और दूसरे का नाम था भोला। रामू बहुत सीधा था तो वही भोला उतना ही चालाक था। एक बार भोला रामू के पास आया और उससे बोला कि शहर चलकर खूब सारा पैसा कमा कर लाते हैं। रामू भोला की बात मान कर उसके साथ शहर चला जाता है। वहाँ से वो दोनों खूब सारा पैसा कमा कर लाते हैं। फिर रामू भोला से कहता है इतना सारा धन अगर वो घर मे रखेंगे तो कोई चुरा सकता है। इसलिए उसे अपने घर के पास ही नीम के पेड़ में छुपा देंते हैं और उन दोनों में से जिसको भी धन की जरूरत होगी वो एक दूसरे को साथ लेकर ही धन निकालने जाएगा। कोई भी अकेले धन निकालने नहीं जाएगा । रामू फिर से भोला की बात मान जाता है और धन को नीम के पेड़ के नीचे दोनों दोस्त मिलकर गाड़ देतें है।
कुछ दिनों बाद भोला रामू के पास जाता है और उससे कहता है कि उसे धन की जरूरत है। रामू भोला के साथ धन निकालने के लिए जाता है और फिर दोनों दोस्त धन निकालने के लिए नीम के पेड़ के नीचे से मिट्टी निकालना शुरू करतें हैं। लेकिन इन दोनों को धन नहीं मिलता। फिर भोला रामू पर गुस्सा करने लगता है और उससे कहता है कि धन उसी ने लिया है। रामू भोला को मना करते हुए कहता कि धन उसने नहीं लिया। फिर भोला नीम के पेड़ से पूछता है कि धन किसने लिया। नीम के पेड़ से आवाज आती है कि धन भोला ने लिया। फिर दोनों जोर जोर से झगड़ा करने लगते हैं। बात राजा तक पहुँच जाती है।
राजा उन दोनों दोस्तों से कहता कि कल नीम के पेड़ की गवाही के बाद ही कुछ फ़ैसला लेगा। अगले दिन राजा रामू और भोला के साथ नीम के पेड़ के पास जाता है और नीम के पेड़ से कहता है, है नीम देव ! धन किसने चुराया है। तभी नीम के पेड़ से आवाज़ आती है की धन रामू ने चुराया है। रामू पहले तो मना करता है फिर वो पास ही पड़ी कुछ लकड़ियों को उठाता है और उसे नीम के पेड़ के नीचे रख कर उसमें आग लगा देता है। तभी नीम के पेड़ से बचाओ–बचाओ की आवाज़ आती है। राजा अपने सिपाही से उस आदमी को निकालने को कहता है और वो आदमी भोला का पिता होता है। फिर भोला राजा से कहता है कि उसने ही वो सारा धन चुराया था। राजा भोला और उसके पिता को जेल में डाल देता है और रामू को सारा धन मिल जाता है।
मोरल- हमें दोस्ती सोच-समझ कर करनी चाहिए और मुसीबत आने पर घबराना नहीं चाहिए।
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आलसी पत्थर
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एक बार की बात है। एक मूर्ति बनाने वाले को मूर्ति बनाने के लिए पत्थर चाहिए था। इसके लिए वो जंगल पहुंचा। वहाँ उसे एक पत्थर मिला। जिसे देख कर वह बहुत खुश हो गया और लेकर वापस लौटने लगा। रास्ते में आगे चलते हुए उसे एक और पत्थर मिला। उस दूसरे पत्थर को भी उसने अपने पास रख लिया।
घर पहुँचने पर उसने अपना औजार निकाला और पत्थर पर काम करना शुरू किया। जैसे ही उसने पहले पत्थर को ज़ोर-ज़ोर से मारना शुरू किया वो चिल्लाने लगा और कहने लगा कि छोड़ दो मुझे। मुझे कुछ नहीं बनना। मुझे बहुत दर्द हो रहा है। पहले पत्थर की आवाज सुनते ही मूर्तिकार उसपर काम करना बंद कर देता है और दूसरे पत्थर पर काम करना शुरू करता है। लेकिन दूसरा वाला पत्थर एक बार भी कुछ नहीं बोलता। मूर्तिकार ने उस पर कई चोंट लगाई। वो चुप-चाप काम करवाता रहा। फिर एक दिन उस पत्थर से भगवान की बहुत खूबसूरत मूर्ति बन कर तैयार होती है।
गॉव के लोग उस मूर्ति को लेकर मंदिर मे रख देते हैं और उस पर दूध और लड्डू का भोग लगाते हैं। वहीं पहले वाले पत्थर को नारियल फोड़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं। मूर्ति वाले पत्थर को देखकर पहला वाला पत्थर उससे कहता है कि काश वो भी उसकी तरह होता तो उसको भी लड्डू खाने को मिलते। इस पर मूर्ति वाला पत्थर कहता है कि अगर तुमने पहले थोड़ा दर्द सह लिया होता तो आज मेरी जगह तुम ही होते। मूर्ति बने पत्थर की बात सुनकर पहले पत्थर को अपनी गलती समझ आती है और वो उसी तरह रहने लगता है।
मोरल- : अगर हमें जीवन में सफलता प्राप्त करना है तो इसके लिए हमें कड़ी मेहनत से कभी भागना नहीं चाहिए।
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तीन मछलियाँ और मेढक
Moral Story in hindi

एक बार की बात है, एक तालाब में तीन मछलियाँ रहती थी। तीनों की आपस में गहरी दोस्ती थी, लेकिन तीनों के विचार एक दूसरे से बिल्कुल अलग थे। तभी एक दिन शाम को तीनों मछलियाँ आपस में बात कर थी कि वहाँ पर मेढक आया और बोलने लगा। अच्छा तुम तीनों एक बात बताओ, मान लो तुम्हारे पास कोई मुसीबत आने वाली है, ऐसे में तुम तीनों क्या करोगी।
मेढक की बात सुनकर पहली मछली बोलती है मैं तो उस मुसीबत के आने से पहले ही उससे बचने का उपाय करूंगी। तभी दूसरी मछली बोलती हैं मैं मुसीबत आने के बाद सोचूँगी कि मुझे करना क्या है। वहीं तीसरी मछली कहती है भईया मैं तो मुसीबत को अपनी किस्मत के ऊपर छोड़ दूँगी। अगर मेरी किस्मत मे लिखा होगा मुसीबत से बचना तो मैं बच ही जाऊँगी। तीनों मछलियों की बात सुन कर मेढक उनसे कहने लगा, अभी-अभी मैंने एक शिकारी को बात करते सुना कि वह कल सुबह इस तालाब में आएगा और तुम सब को पकड़ कर ले जाएगा। मेरी तो यही सलाह है कि तुम सब इस तालाब से कहीं दूर चली जाओ।
मेढक की बात सुन कर पहली मछली वहाँ से जाने का फैसला लेती है और बाकि मछलियों से भी वहाँ से चलने को कहती है। लेकिन दोनों में से कोई मछली वहाँ से नहीं जाती। अगले दिन सुबह होती है। शिकारी आता है। शिकारी को आता देख दूसरी मछली भी वहाँ से चली जाती है। अब बचती है तीसरी मछली, वो वहाँ से नहीं जाती। वो किस्मत के भरोसे रहती है। तभी शिकारी अपना जाल तालाब मे फेंकता है और उस तीसरी मछली को पकड़ लेता है। शिकारी के साथ उस मछली को जाता देख मेढक कहता है, काश ये किस्मत के भरोसे ना रहती। दोनों मछलियों की तरह समय से पहले ही अगर कुछ उपाय सोच लेती, तो आज ये बच जाती।
मोरल- : हमें कभी किस्मत के भरोसे नहीं रहना चाहिए। हमें हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए। मेहनत से कभी भागना नहीं चाहिए।
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राजा और गमले की कहानी
Moral Story in hindi

एक बार की बात है, एक राजा था। वो अब बूढ़ा हो चुका था। उसको बस अब आराम करना था। इसके लिए उसने अपना उत्तराधिकारी बनाने की योजना बनाई। फिर एक दिन उसने अपने राज्य में एक सभा बुलाई। जिसमे राज्य के सभी लोगों को आने को कहा। राजा का आदेश सुनकर राज्य के सभी लोग उस सभा मे शामिल हुए। फिर राजा ने सबसे कहा है कि वह अब राज्य के ही किसी अन्य व्यक्ति को राजा बनाना चाहता है। राजा की बात सुनकर सभी लोग खुश हो गए। तभी राजा ने सबसे फिर कहा कि मैं आप सबको एक-एक गमला दे रहा हूँ।
इस गमले में मैंने बीज डालकर रखा है। जो भी व्यक्ति इस बीज से फूलों का पौधा उगाएग, वह ही व्यक्ति अगला राजा बनेगा और इस काम के लिए राजा ने सभी को एक हफ्ते का समय दिया। एक हफ्ते बाद फिर से सभा होती है। राज्य के हर व्यक्ति के हाथों मे फूलों वाला गमला होता है, सिवाय एक छोटी लड़की के। उसके हाथ में सिर्फ मिट्टी वाला ही गमला होता है। राजा जैसे ही उस छोटी लड़की को देखता है उसे अपने पास बुलाता है और सबसे कहता है कि अब से उसका राज्य यही छोटी लड़की संभालेगी। सारे लोग राजा पर गुस्सा करने लगते हैं।
तभी राजा कहता है कि मैंने जो बीज वाला गमला आप सब को दिया था, उससे कोई भी पौधा नहीं उग सकता था। लेकिन आप सबने अपनी तरफ से फूलों वाला पौधा लगाया। सिर्फ इस बच्ची ने ईमानदारी दिखाई। इसलिए मेरे राज्य को अब यही बच्ची संभालेगी। राजा की बात सुनकर सभी को अपने किए पर शर्म आती है और बिना कुछ कहे वहाँ से चले जाते हैं।
मोरल- : चाहे फायदा कितना भी बड़ा क्यों ना हो, हमें हमेशा ईमानदारी से काम करना चाहिए। भविष्य में आगे चल कर हमें इसका फायदा जरूर मिलता है।
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बेवकूफ गधे
Moral Story in hindi

एक जंगल में दो गधे रहते थे। दोनों के घर के बीच एक नदी भी पड़ती थी और उस नदी के ऊपर एक पुल बना था। पुल काफी पुराना हो चुका था इसलिए उस पुल पर एक समय में एक ही आदमी जा सकता था। एक दिन दोनों गधे अपने-अपने घर से घास खाने के लिए जंगल की तरफ गए। दोनों ही गधे बहुत भूखे थे। इसलिए घास खाते-खाते नदी के पास चले गए और पुल के ऊपर चढ़ गए। जब दोनों गधों ने एक दूसरे को देखा तो आपस में लड़ने लगे। पहले गधे ने दूसरे गधे से कहा कि वो पुल पर सबसे पहले आया है इसलिए वो सबसे पहले पुल पार करेगा।
दूसरे गधे ने कहा कि वो पुल पर सबसे पहले आया है और इस तरह से दोनों गधे ज़ोर- ज़ोर से लड़ने लगे। कुछ समय बाद दोनों गधे लड़ते-लड़ते पुल के बीच आ गए। पुल तो था पतला और पुराना। इसलिए पुल दोनों गधों का भार नहीं उठा पाया और पुल टूट गया। अब क्योंकि नदी तो होती है बहुत गहरी तो दोनों गधे उस नदी मे डूब जाते हैं।
मोरल- : हमें कभी आपस में झगड़ा नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा मिल-जुल कर रहना चाहिए।
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चालाक मुर्गा
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एक बार की बात है, जंगल में एक मुर्गा रहता था। पेड़ के ऊपर मुर्गे ने अपना घर बना रखा था। मुर्गा बहुत चालाक था। रोज सुबह सूरज निकलते ही वो बांग देना शुरू कर देता था । बाद में वो खाने की तलाश में अपने घर से निकल जाता और फिर शाम होते ही अपने घर वापस भी आ जाता था। उसी जंगल में एक लोमड़ी भी रहती थी। वह कई दिनों से मुर्गे को खाना चाह रही थी, लेकिन हर बार मुर्गा उससे बच जाता था।
तो ऐसे ही एक दिन मुर्गा पेड़ के ऊपर बने अपने घर में आराम कर रहा था और इधर लोमड़ी को बहुत ज़ोर की भूख लगी थी। तभी उसकी नजर पेड़ पर बैठे मुर्गे पर गई। वो तुरंत अपने दिमाग में मुर्गे को खाने की योजना बनाने लगी। योजना बनाने के बाद वह लोमड़ी मुर्गे के पास गई और उससे बोली, और मुर्गे भईया कैसे हो। लोमड़ी को देखते ही मुर्गा समझ गया कि जरूर ये लोमड़ी उसको खाने आई है। इसके बाद बहुत प्यार से मुर्गे ने लोमड़ी से कहा, हाँ लोमड़ी बहन मैं बिल्कुल ठीक हूँ, तुम बताओ कैसे आना हुआ तुम्हारा। तभी लोमड़ी बोली, एक जरूरी बात बतानी थी तुमको।
हमारे जंगल के राजा शेर ने आदेश दिया है कि अबसे कोई भी किसी को परेशान नहीं करेगा। सारे जानवर एक-दूसरे से मिल कर रहेंगे। तो इसी बात पर नीचे आओ। हम दोनों मिलकर एक दूसरे के गले लगते हैं। लोमड़ी की बात सुनकर मुर्गा तुरंत बोला, अच्छा तभी हमारे जंगल के राजा शेर इधर आ रहे हैं। शायद वो तुमको अपने गले लगाना चाहते हैं। शेर का नाम सुनते ही लोमड़ी बिना देरी किए वहाँ से ज़ोर से भागती है और कहती है भईया मुझे नहीं करनी शेर से दोस्ती। लोमड़ी को भागता देख मुर्गा ज़ोर-ज़ोर से हँसता है।
मोरल- : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी की भी बातों में आने से पहले अपने दिमाग का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।
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