तीन मेढक की कहानी
एक जंगल में मेढकों का एक समूह रहता था। ये सभी मेढक जहां रहते थे वहाँ एक गहरा गड्ढा था। एक दिन कुछ मेढक आपस में खेल रहे थे, तभी उनमे से तीन मेढक कुएं में गिर जाते हैं। गड्ढे में गिरे मेढकों को देख कर बाहरी मेढक ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगते हैं, अरे अब तो तुम तीनों बाहर ही नहीं निकल पाओगे। गड्ढा बहुत ऊंचा है। उछलने से भी तुम्हारे कोई फायदा नहीं। बाहरी मेढकों की ये बात सुन कर अंदर गड्ढे में गिरे 2 मेढक बाहर निकलने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं करते और वहीं उनके साथ वाला तीसरा मेढक बार-बार बाहर निकलने के लिए उछलता रहता है। खूब कोशिश करता है, और फिर वो बाहर निकल जाता है। उसको बाहर निकलता देख बाकी सब उसे देखते रह जाते हैं कि वो आखिर कैसे बाहर निकल गया।
तीसरा मेढक इसलिए बाहर निकल गया क्यों कि उसे सुनाई नहीं देता था। वो बाहर बोल रहे मेढकों को सुन ही नहीं पाया बल्कि उसे ये लगा कि उसके दोस्त उससे बाहर निकलने के लिए कह रहे हैं। और फिर वो अपनी पूरी ताकत लगा कर बाहर निकल आया।
Moral- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा खुद पर विश्वास रखना चाहिए। बिना लोगों की बातों पर ध्यान दिए आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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